उमरीखेड़ा में लॉकडाउन के चलते रहवासी बाहरी लोगों से परेशान थे।उसी के चलते हुए हम लोगों ने कुछ दिनो से नाकाबंदी लगाई थी गांव के आसपास के सभी रास्ते कांटे व पत्थर से बंद कर दी गए थे । क्योंकि शहर के आसपास के लोग किराना सब्जी पान मसाला व अन्य सामग्री के लिए सुबहा4:00 बजे से दिन भर आना जाना करते थे हमेशा भय रहता था उन्हें कोई रोक-टोक नहीं कर रहा था इस वजह से बाहरी लोगों का आना जाना ज्यादा हो चुका था आज गांव में देखा जाए तो लॉकडाउन का कुछ भी असर नजर नहीं आ रहा है ।लोग कोरोनावायरस को बीमारी को कुछ नहीं समझ रहे हैं ।लोग अपने परिवार के अपने दुश्मन बने हुए हैं ऐसे लोगों की वजह से ही देश के आज यह हालत है वरना लॉकडाउन 14 अप्रैल को खुल चुका होता ।
गांव वालों का थोड़ी थोड़ी देर में बाहर घूमना बाहर जाना उन सभी के लिए आम बात है और लापरवाही का आलम है कि एक दो बजे रात तक गांव के लड़के लोग बाहर रोड पर घुमते नजर आते हैं ।और आस पास व शहर के लोग तो काफी संख्या में गांव में आने लगे थे इसी को देखते हुए हम लोगों ने नाकाबंदी की थी मगर खुद व परिवार के दुश्मन जैसे लोगों गांव की सुरक्षा पसंद नहीं आई और जानबूझकर बार-बार नाकाबंदी पार कर रहे थे समझाने रोकने पर धमकी ओर गाली गलौज से बाज नहीं आ रहे थे । हमने इसी वजह से नाकेबंदी हटा दी। हम लोग गांव वालों की सुरक्षा के लिए यह कर रहे थे मगर गांव वालों के सहयोग के बजाये धमकी व गालियॉ मिल रही थी। किसी प्रकार का हमें सहयोग नहीं मिल पा रहा था हम बाहर वालों को गांव में नहीं आने दे रहे थे ।
गांव के जो लोग जरूरी काम से आ जा रहे थे उन्हें सेनीटाइज स्प्रे कर रहे थे। मगर कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया और झगड़ा करने पर उतारू हो रहे थे ।आज कई समाजसेवी लोग ऐसे लोगो को राशन भी उपलब्ध करा रहे हैं मगर यह उन लोगों की भी इज्जत मान सम्मान नहीं कर रहे हैं वो भी समझाते हे कि सभी को घर के अन्दर रहना है मगर ये समझने को तैयार नहीं है ।ऐसे लोगों को समाज व समाज के लोगों से व अपने परिवार से कोई मतलब नहीं रहता है ।हमार गांव तो ठिक ऐसे समाज के दुश्मन हर गांव में मिल जाएंगे।